सेवा फर्ज है कर्ज़ नहीं
सेवा फर्ज है कोई कर्ज़ नहीं
कि सोचकर या हिसाब-किताब लगाकर की जाए
कि आज हम करेंगे तो कल हमारी होगी
परन्तु डर कर ज़रूर करना
कि आज अपना फ़र्ज़ छोड़ा,तो वक़्त के कर्ज़दार बन जाओगे
वक़्त के हिसाब-किताब से कौन बच सका है
इसलिए लेने वालों की नहीं,देने वालों की गिनती में रहना
क्योंकि लेने वाले की तृष्णा कभी पूरी होती नहीं
और देने वाले की झोली कभी ख़ाली रहती नहीं ..
वन्दना सूद