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The Flower of WordThe Flower of Word by Vedvyas Mishra

कविता की खुँटी

        

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Dastan-E-Shayra By Reena Kumari PrajapatDastan-E-Shayra By Reena Kumari Prajapat

कविता की खुँटी

                    

जीवन की कश्ती को

जीवन की कश्ती को
मँझधार फंसी नैया, उद्धार करा देना॥
जीवन की कश्ती को, प्रभु पार लगा देना।

सुख-दुःख ही जीवन है, मन को समझाना है।
संघर्ष भरा बीहड़ वन, लड़ते ही जाना है॥
अंतस में साहस का, अंबार लगा देना ।
जीवन की कश्ती को, प्रभु पार लगा देना॥

अभिमान न हो मन में, सदज्ञान हमें देना।
उर निर्मल बन पाए, वरदान हमें देना॥
दुष्चिन्तन को मन से, प्रभु दूर भगा देना।
जीवन की कश्ती को, प्रभु पार लगा देना॥

दुष्कर्मों से भगवन, मुझे दूर ले जाओगे।
परहितमय हो जीवन, सन्मार्ग दिखाओगे॥
कल्मष कषाय मन से, प्रभु दूर हटा देना।
जीवन की कश्ती को, प्रभु पार लगा देना॥

प्रभुवर सद्चिंतन से, सद्भाव जगाएंगे।
मन तुझमें रम जाए, कर्तव्य निभाएंगे॥
हो भूल अगर हमसे, दिल से न लगा लेना।
जीवन की कश्ती को, प्रभु पार लगा देना॥
-उमेश यादव




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रचना के बारे में पाठकों की समीक्षाएं (5)

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अशोक कुमार पचौरी 'आर्द्र' said

Bahut Pyari Bhajan Kavita

Umesh Yadav replied

धन्यवाद आदरणीय

फ़िज़ा said

"जीवन की कश्ती को, प्रभु पार लगा देना" bahut sundar, ya khuda sabke jeewan ki kashti ko paar lagana sab par apni rahmat ki nazar rakhna

Umesh Yadav replied

धन्यवाद आदरणीय

Umesh Yadav replied

धन्यवाद, श्रीमान

डॉ कृतिका सिंह said

Bahut sundar likha

Umesh Yadav replied

धन्यवाद आदरणीया, प्रणाम

Raman Pratap said

बहुत सुन्दर लिखा

वन्दना सूद said

जीवन की कश्ती को, प्रभु पार लगा देना👏👏बहुत प्यारा लेखन

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