उत्तर नहीं जिन प्रश्नों का,
गूढ़, अस्पष्ट स्वप्नों का,
विकट गिरि सम जो अटल,
मिलकर ढूँढ लेंगे हम हल।
समाज की विषमताओं का,
कुटिल मन कुरूपताओं का,
निश्चित समाधान होगा चल,
मिलकर ढूँढ लेंगे हम हल।
जीवन में समस्याएँ अनंत,
हो सके जिनसे इनका अंत,
प्रत्येक मानव जिससे विकल,
मिलकर ढूँढ लेंगे हम हल।
मिलकर साथ रहें हम हरदम,
बढ़ाएँ गर साथ कदम-कदम,
प्रयत्न होगा नहीं कभी विफल,
मिल कर ढूँढ लेंगे हम हल।
🖊️सुभाष कुमार यादव