यहां पर मेरे, ख्वाबों–खयालों की, कीमत क्या..
दिल ने जो उठाए, उन सवालों की क़ीमत क्या..।
पत्थर की ज़मीं है, और पत्थर का ही आसमाँ..
फिर यहां मेरे कदमों के, छालों की कीमत क्या..।
आंखें चुंधियाती हैं, तेरे शहर की रोशनियों से फिर..
जुगनुओं की बस्ती में उन, उजालों की कीमत क्या..।
उनकी याद के बगैर, मयखाने का क्या वज़ूद होगा..
जो साकी ना हो तो, फिर प्यालों की कीमत क्या..।
जो खुद ब खुद किसी तरह, दब ही गया तो फिर..
आज के ज़माने में, ऐसे घोटालों की कीमत क्या..।
पवन कुमार "क्षितिज"

The Flower of Word by Vedvyas Mishra
The novel 'Nevla' (The Mongoose) by Vedvyas Mishra



The Flower of Word by Vedvyas Mishra




