आज दिल का हाल क्या है?
ये समझ नहीं आ रहा है मुझे,
हॅंस भी रहा है बहुत मेरा दिल और बहुत ये रो भी रहा है। क्योंकि भाग रही थी जिसके पीछे मैं बरसों से,
आज पता चला
उसके पास तो मेरे लिए वक्त ही नहीं है.......
मैं भी बहुत जज़्बाती हूॅं, जज़्बातों में अपने,हर वक्त बहती रहती हूॅं,
समझ ना आ रहा करूं क्या मैं अब?
क्या छोड़ दूं वो सब जो करती आई हूॅं मैं अब तक
क्योंकि भाग रही थी जिसके पीछे मैं बरसों से,
आज पता चला
उसके पास तो मेरे लिए वक्त ही नहीं है........
सोच रही हूॅं मैं आज,
जो देखे थे मैंने ख़्वाब, रहने के उसके साथ, लगता है वो अब ना होंगे पूरे।
क्योंकि भाग रही थी जिसके पीछे मैं बरसों से,
आज पता चला
उसके पास तो मेरे लिए वक्त ही नहीं है.......
आज सुनी मैंने उसकी कहानी,
उसकी अपनी मां की जुबानी
कि वक्त नहीं उसके पास अपनी मां के लिए
सुन ये गहरी सोच में मैं डूब गई,
तो फिर कहाॅं वक्त होगा उसके पास मेरे लिए।
क्योंकि भाग रही थी जिसके पीछे मैं बरसों से,
आज पता चला
उसके पास तो मेरे लिए वक्त ही नहीं है...…..
मैं जानती हूॅं वो क्या है मेरे लिए,
आज समझ गई मैं कि कुछ भी नहीं हूॅं मैं उसके लिए।
क्योंकि भाग रही थी जिसके पीछे मैं बरसों से,
आज पता चला
उसके पास तो मेरे लिए वक्त ही नहीं है......
- रीना कुमारी प्रजापत
सर्वाधिकार अधीन है

The Flower of Word by Vedvyas Mishra
The novel 'Nevla' (The Mongoose) by Vedvyas Mishra



The Flower of Word by Vedvyas Mishra




