मौन की शक्ति
डॉ. एच सी विपिन कुमार जैन" विख्यात"
मौन की शक्ति जब चिंता बने,
अपनों के लिए मन हर पल तने।
कोई ना जाने क्या चल रहा अंदर,
बस एक उम्मीद, हो जीवन सुंदर।
समर्पण का भाव, त्याग का प्रतीक,
ये प्रेम का रिश्ता, सदा ही है ठीक।
बिना बोले ही सब कुछ समझ लेना,
एक दूसरे का सहारा बन लेना।
और शब्दों का वेग जब गुस्सा बने,
ये सिर्फ भलाई के लिए ही घने।
जैसे लोहार आग में तपाए धातु,
वैसे ही गुस्सा मन को शुद्ध करता, ये गाथा।
ताकि रास्ता सही हो, ना भटके कोई,
प्रेम का धागा कभी ना टूटे कोई।
यही है अटूट प्रेम की सच्ची कहानी,
जहाँ मौन में चिंता, और शब्दों में भी नादानी।
एक दूजे को समझे, एक दूजे को जाने,
सदा साथ रहें, चाहे कुछ भी हो जमाने।