सुख ने दिया झांसा अभिशाप चला आया
दर्द पारे सा फिसल चुपचाप चला आया ।।
पहने हैं बहुत चश्मे दुनियां ने यहां रंगी
बदरंग हुऐ मौसम तूफान चला आया।।
अब तो है जमाने मे उसका ही बोलबाला
संगीन बहुत मुजरिम बेदाग चला आया।।
रातों ने यहां अक्सर सपनों को चुराया है
आंखो में कोई मादक उन्माद चला आया।।
अपनों की नही चाहत गैरों से नही शिकवा
पड़ता है जिसे मतलब वो दास चला आया।।
जीने की तमन्ना ने पलकें ही तो खोली थीं
दस्तक भी नहीं कोई और काल चला आया।।

The Flower of Word by Vedvyas Mishra
The novel 'Nevla' (The Mongoose) by Vedvyas Mishra



The Flower of Word by Vedvyas Mishra




