मेरी परेशानियों का सबब न पूछ तुझको मैं क्या-क्या बताऊं।
फेहरिस्त है यह बड़ी लंबी मैं मांगू तो खुदा से क्या-क्या मांगू।।1।
बड़ी बेबस है मेरी जिंदगी कुछ भी कर सकती नहीं।
बदगुमानियाँ है बहुत मैं किसी को समझाऊं तो क्या-क्या समझाऊं।।2।।
इक खुदा है देने वाला वह भी रूठा है अब तो मुझसे।
कोई तो बता दे मैं फरियाद लेकर जाऊं तो कहां कहां जाऊं।।3।।
चारों तरफ है मेरे अपनों की ही हिकारत भरी नज़रे।
उठा कर सर मैं नजरें मिलाऊं तो किस-किस से मिलाऊं ।।4।।
कोई क्या समझेगा मेरा दर्द जो है दिया मेरे अपनों का।
ये ज़ख्म है मेरी रूह के मैं दिखाऊं तो किस-किस को दिखाऊं।।5।।
मुझे ना पता जिंदगी मेरी जानें कब से सवाल बन गई है।
मिलता नहीं जवाब कहीं मैं किसी को बताऊं तो क्या-क्या बताऊं।।6।।
जानें कैसी तकदीर लिखी है खुदा ने मेरी ज़िंदगी की।
पढ़ना इसे है मुश्किल गर मैं सुनाऊं तो क्या-क्या सुनाऊं।।7।।
एक वक्त वो भी था जब चारों ओर मेरे रिश्तों का शोर था।
पर अब तो तारी हैं यहाँ खामोशियां कहीं गुमनाम ना हो जाऊं।।8।।
मैं जानता हूं ये सब मेरे ही गुनाहों का सिला मुझको है मिला।
पर कोई तो इक बार और साथ दे दे मैं फिरसे संवर जाऊं।।9।।
ताज मोहम्मद
लखनऊ

The Flower of Word by Vedvyas Mishra
The novel 'Nevla' (The Mongoose) by Vedvyas Mishra



The Flower of Word by Vedvyas Mishra




