मैं गाता हूँ तो गाने दो,
मैं लिखता हूँ तो लिखने दो !!
मैं जैसा भी हूँ अच्छा हूँ,
मुझे इस हाल में रहने दो !!
बसा इक गीत है साँसों में,
कविता रच दी है चोटों ने !!
न समझे दर्द कोई जो मेरा,
उसे पीड़ा सुनानी क्या ?
मैं टूटा भी तो जोड़ा खुद,
बना हूँ काँच से पत्थर मैं !
हरेक मुश्किल को लेके साथ,
चला आया अकेला ही मैं !!
कभी मैं धूप में पला,
कभी मैं छाँव पला यारो !!
न गिरवी मैं रखा खुद को,
मैं जैसा भी हूँ..जीने दो !!
वेदव्यास मिश्र की
स्वाभिमानी कलम से..
सर्वाधिकार अधीन है