आत्मसम्मान
डॉ एच सी विपिन कुमार जैन "विख्यात "
क्यों झुकता है तू,
क्यों डरता है,
तू तो वो है,
जो खुद से लड़ता है।
उठा सर अपना,
और देख जहाँ,
तेरा आत्मसम्मान है तेरी शान।
मत बेच अपनी आत्मा को,
मत खो अपने वजूद को।
तू अनमोल है,
तू अद्वितीय है,
ये दुनिया तुझसे ही बनी है।
आत्मसम्मान की ज्वाला जला,
हर बंधन को तू अब मिटा।
तू वो तूफान है जो गरजेगा,
हर मुश्किल को तू जीतेगा।