खिले हुए फूलों को तो झड़ना है,
झड़ने से पहले, उन्हें महकना है।
खिलने और झड़ने के दरमियान,
अपना जीवन पूर्णरूप से जीना है।
है शाश्वत नियम यही संसार का,
जिसका अस्तित्व, उसे मिटना है।
मिटने के पूर्व अपना कर्म करना,
कर्म के सिवा कहाँ कुछ अपना है।
पाया यहीं, यहीं पे सब खो गया,
खाली हाथ ही आना और जाना है।
🖊️सुभाष कुमार यादव