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The Flower of WordThe Flower of Word by Vedvyas Mishra

कविता की खुँटी

        

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Dastan-E-Shayra By Reena Kumari PrajapatDastan-E-Shayra By Reena Kumari Prajapat

कविता की खुँटी

                    

इक सज्जन ने पूछा मुझसे - हास्य😁रचना- वेदव्यास मिश्र

इक सज्जन ने पूछा मुझसे,
अकल बड़ी कि भैंस रे बन्धु
अकल बड़ी कि भैंस ??

मैंने कहा हे दुर्लभ सज्जन,
अकल नहीं बड़ी भैंस रे बाबा
अकल नहीं बड़ी भैंस !!

उसने कहा कि कैसे सर हो,
बच्चों को क्या पढ़ाते होंगे ??
पता नहीं इतना कि होती,
बड़ी अकल नहीं भैंस रे मूरख,
बड़ी अकल नहीं भैंस !!

मैंने कहा बस दो जवाब दें,
अन्यथा कोई बात नहीं लें !!
अगर अकल होती जो बड़ी तो,
फिर हो आप परेशां क्यूँ इतने ??
चिन्तित होती भैंस यक़ीनन,
चिन्तित होती भैंस !!

दूसरी बात है हे खल ज्ञानी,
ये सवाल मुझसे क्यों पूछे ??
पूछियो जाके भैंस से याचक,
पूछियो जाके भैंस !!

भैंस को जब लेना ना देना,
अकल बड़ी कि भैंस हे सज्जन,
अकल बड़ी कि भैंस !!
फिर अपना क्यों सर खपायें,
अकल बड़ी कि भैंस !!

तब सज्जन ने बोला मुझको,
होकर गुस्से से लैस तभी वो,
होकर गुस्से से लैस !!

मुहावरा फिर क्यों बना ये,
अकल बड़ी कि भैंस ?? गुरुजी,
अकल बड़ी कि भैंस !!

मैंने कहा प्रभु दीनदयाले,
त्रिभुवन के हे राज दुलारे !!
इसका बस इतना ही मतलब
पूछ रहा परेशान वो सबसे..
अकल बड़ी कि भैंस ??

भैंस तबेले में ही अच्छी,
अकल सँवारे जीवन प्रभु जी !!
अकल से सब कुछ है मिल जाता,
भैंस मगर है दूध देती !!

मेरा बस इतना है कहना,
ना अकल बड़ी ना भैंस मानो,
ना अकल बड़ी ना भैंस !!

सर खुजलाते निकल गये वो,
फँसा हुआ कुछ पेंच पकड़के,
फँसा हुआ कुछ पेंच !!

पूछेंगे ना शायद फिर से..
अकल बड़ी कि .....????


यह रचना, रचनाकार के
सर्वाधिकार अधीन है


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रचना के बारे में पाठकों की समीक्षाएं (11)

+

रीना कुमारी प्रजापत said

वाह! सुप्रभात🙏

Bhushan Saahu said

श्रीमान आपके लेखन का जवाब नहीं है लाजवाब रचना

वेदव्यास मिश्र said

रीना कुमारी प्रजापत जी, आभार बहन सुप्रभात नमन 🙏💜💜🙏

वेदव्यास मिश्र said

Bhushan Saahu जी, आभार हृदय से बन्धु !! ऐसे सज्जन अगर कहीं मिलें तो मुझे अवगत ज़रूर कराइयेगा साहू जी 😍😍 !! ऐसे लोगों का नि:शुल्क इलाज है मेरे पास !! ऐसे लोग ही मोदी-योगी टाइप के बहस में भो पड़े रहते हैं जबकि उन्हें हमारे अनावश्यक बहस से कोई लेना-देना ही नहीं है !! मेरा मानना है ,अपनी-अपनी जगह सभी सही हैं !! हर बात की तुलना उचित नहीं !! यह रचना सिर्फ प्रतीकात्मक है !! 💜💜

अशोक कुमार पचौरी 'आर्द्र' said

Uttam Rachna 👌👌 bahut hasya purn roop se Aaj iska jabab mil hi Gaya Pranaam Sweekar karein 🙏🙏

Vineet Garg said

.........भैंस

वेदव्यास मिश्र said

अशोक जी, साभार बन्थु !!

वेदव्यास मिश्र said

Vineet Garg जी, ये जवाब पूरी तरह सच है 😍😍 कोई तो मिला मेरी बातों को समर्थन देने वाला !! सच कहूँ तो ..अकल तो मैंने देखी ही नहीं है भाई साहब !! जो दिखते नहीं उसे सूक्ष्मजीव कहते हैं यानि अकल छोटा हुआ और भैंस तो खुली आँखों से दिखाई देती है तो कन्फर्म हुआ कि भैंस निश्चित ही अकल से बड़ी है !! 🙏💜💜😍😁😍💜💜🙏🙏

Manju Sharma said

Ek jumle par itni sundar aur vyapak rachna bahut khoob👌👌

वेदव्यास मिश्र said

Manju Sharma जी, कभी-कभी लीक से हटकर लिखने में एक अलग ही आनंद आता है मैम !! प्रयोग से कभी-कभी साहित्य में नवीनतापन आता है !! मानता हूँ चैलेंजर्स होता है..मगर जब रचना अपनी संपूर्णता को प्राप्त करती है तो मन आनन्द से झूमने लगता है !! सहृदय सप्रेम आभार 🙏💜💜🙏

कमलकांत घिरी said

वाह सर जी छा गए .. अकल बड़ी की भैंस... बहुत सुंदर टॉपिक बहुत उलझा दिए आपने हमें..👌👌👏🙏🙏

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