जिन्दगी में कभी घमण्ड मत करना।
अनजाने में मैंने किया आ रहा रोना।।
पांच साल पहले नौकरी छोड दी मैंने।
कोरोना काल गया अब आ रहा रोना।।
जज्बा और भुखमरी दोनो अलग चीजें।
जज्बा शहर छूटा गाँव में आ रहा रोना।।
काफी वक्त बाद माँ-बाप के साथ रहना।
संप्रत्यय समझकर 'उपदेश' आ रहा रोना।।
- उपदेश कुमार शाक्यावार 'उपदेश'
गाजियाबाद