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The Flower of WordThe Flower of Word by Vedvyas Mishra

कविता की खुँटी

        

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Dastan-E-Shayra By Reena Kumari PrajapatDastan-E-Shayra By Reena Kumari Prajapat

कविता की खुँटी

                    

शक्तिमान - अशोक कुमार पचौरी

तू शक्तिमान नहीं

सर्व शक्तिमान है

तेरे अंदर भी वह

ईश्वर विद्यमान है

डर नहीं आंधी से तू

तूफ़ान से टकरा जा तू

भूकंप हो भूचाल हो

सबका है महाराजा तू

उठा कदम

बढ़ा कदम

सभी करें

तुझे नमन

तू बड़ा महान है

तू शक्तिमान नहीं

सर्व शक्तिमान है

तेरे अंदर भी वह

ईश्वर विद्यमान है

पड़े जहां जहां कदम

झुके वहां वहां चमन

करके ईश को नमन

प्यार का खिला चमन

मुड़े जिस तरफ कदम

बंजर हो या हो उपवन

खुले हुए असंख्य रास्ते

वहीं विद्यमान हैं

तू शक्तिमान नहीं

सर्व शक्तिमान है

तेरे अंदर भी वह

ईश्वर विद्यमान है

उठा कदम

बढ़ा कदम

सभी करें

तुझे नमन

तू बड़ा महान है

तेरे अंदर भी वह

ईश्वर विद्यमान है

Originally posted at : https://www.amarujala.com/kavya/mere-alfaz/ashok-pachaury-shaktimaan-9029




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रचना के बारे में पाठकों की समीक्षाएं (2)

+

Lekhram Yadav said

हमारा हौंसला बढ़ाना ही आपका काम है। तभी तो आपको मेरा साष्टांग प्रणाम है।

अशोक कुमार पचौरी 'आर्द्र' replied

आपकी समीक्षा प्रतीक्षारत रहती है लेकिन इस प्रकार से हुज़ूर हमें शर्मिंदा ना करें सारा श्रेय खुद लिए जा रहे हैं शास्टांग प्रणाम तो मुझे आपको करना चाहिए - ऐसा अधर्म न करवाएं, आप बस अपना आशीर्वाद बनाये रखें

रीना कुमारी प्रजापत said

नतमस्तक नमन आपको और आपकी रचना को.... बहुत ही श्रेष्ठ रचना है.... शुभरात्रि

अशोक कुमार पचौरी 'आर्द्र' replied

आपका बहुत बहुत आभार प्रोत्साहित करने वाली प्रतिक्रिया के लिए, प्रणाम, शुभ रात्रि रीना Mam

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