सुनो, आपके लिए मैंने एक ग़ज़ल भेजी थी,
आपको वो मिली क्या ?
आपके लिए मैंने एक ग़ज़ल कही थी,
आपने वो सुनी क्या ?
कुछ तो कहो,यूं ख़ामोश क्यों हो ?
क्या मेरी ग़ज़ल आप तक पहुंची नहीं ?
कुछ तो बोलो,कुछ तो लिखो
यूं अपनी कलम को रोके क्यों हो ?
क्या मेरी ग़ज़ल आपको पसंद आई नहीं ?
क्या बात है ? जो भी है बता दो ना,
मिल गई है मेरी ग़ज़ल तो उसे सुन लो ना।
और अगर आ गई है पसंद
तो उसे मेरे नाम के साथ इस जहां को सुना दो ना,
क्या बात है ? जो भी है बता दो ना।
आपकी लेखनी के साथ - साथ
आपके शेरो शायरी और ग़ज़लें सुनाने के अंदाज़
के भी दीवाने हैं हम,
उसे मेरे नाम के साथ अपनी आवाज़ में
रिकॉर्ड कर मुझ तक भिजवा दो ना।
इतने कवियों और शायरों में से फ़क़त
आपके ही मुरीद हैं हम ना भी सुनाओ ग़ज़ल मेरी
कोई बात नहीं,
पर इतना करो कि मेरा नाम लेकर
अपने शायराना अंदाज़ में मुस्कुरा दो ना।
~रीना कुमारी प्रजापत
सर्वाधिकार अधीन है

The Flower of Word by Vedvyas Mishra
The novel 'Nevla' (The Mongoose) by Vedvyas Mishra



The Flower of Word by Vedvyas Mishra




