समझा ना वो मेरी मजबूरी,
और मुझसे नाराज़ हो गया।
हक़ीक़त था कभी जो,
आज वो ख़्वाब हो गया।
ना पूछके आया था ना पूछके गया,
और बिना मेरी मर्ज़ी के मेरी जान हो गया।
कहता था कुछ तो राज़ है आपका,
पर आज वो खुद एक राज़ हो गया।
प्यार बेशुमार था उसे मुझसे,
उसी प्यार से वो शादाब हो गया।
नादान है बड़ा, समझता नहीं कुछ,
अपनी इसी मासूमियत से वो मेरा खास हो गया।
🖋️रीना कुमारी प्रजापत