बचा है सीने में दिल उसको भी लुटा देते हैं,
पास आए फकीर को भी हम दगा देते हैं,
कुछ नहीं है तो भी प्रेम से कह दो,
कुछ ना हो तो भी थोड़ा सा दे दो,
सीने में दर्द भी होगा उसे भी दे दो,
कागज में लिख लिख कर क्या कहना चाहते हो,
कह नहीं सकते उसको सहना चाहते हो,
जबां पर अंगारे लगे हैं जो शब्दों को जला देते हैं,
तुम कहना क्या चाहते हो वह हमें नादानी से बता देते हैं,
हर किसी के पास सूरत देखने की अदा नहीं होती,
किसी की भी नजर कहे सुने शब्दों पर फिदा नहीं होती,
दिल को ढूंढो जरा गहराई में जाकर,
बिना कहे हर मन की बात लफ्जों से कभी जुदा नहीं होती,
चाहूं तो ऐसी दुनिया बनाऊं, जहां न तो कहने की जरूरत,
ना सुनने की जरूरत,
तूफान तो आते रहेंगे,
तुम्हें खड़ा रहना आता है,
होश संभाले हो,
जिनका भरोसा टूट जाता है,
उनसे आस लगाना भी छूट जाता है,
तारीफ से क्या बयां होता है, कुछ किया है तुमने,
भला क्या आता है,
जान कर भी अनजान बनना बड़ा मुश्किल है,
अनजान बनकर भी जानना नामुमकिन है,
कसूरवार तो वह है जो औरों पर टिके हैं,
हम तो अकेले हैं अकेले टिके हैं..
- ललित दाधीच