एक चंचल चन्द्र मुखी ललना ,
यू पी मा नहीं कुछ पावति बा।
सब चोरी डकैती छिनैती छिपे,
केहि खोह मे टोह लगावति बा।।
आदित्य उदय नहि नीक लगे,
अँधियार पुकार लगावति बा।
बुलडोजर देखि के होश उड़े,
का बा कहि शोर मचावति बा।।
ठग गुंडे गये सुर धाम सबै,
नित दंगा फसाद न पावति बा।
सन्यासी के दण्ड कमंडल देखि,
न नीति जिया कछु भावति बा।।
गज मूरति लागब बंद भई,
सैैफइया न रास रचावति बा।
बुलडोजर देखि के होश उड़े,
का बा कहि शोर मचावति बा।।
गरिबउ गुरबा कछु पाइ रहे,
नहि फूटिउ आँखि सुहावति बा।
देशवा मा विकास प्रकाश निहारि,
फकीरन का गरियावति बा।
उद्योग कै फूल खिलत देखिस,
जड़ छाछ उड़ेरि पियावति बा।
बुलडोजर देखि के होश उड़े,
का बा कहि शोर मचावति बा।।