हिंदोस्तान का हरेक आम-आदमी ,
व्यस्त रखा नेता ने खेल-तमाशा में,
स्वतंत्र-भारत के सतहत्तर सालों से,
उलझाया है राजनैतिक-पिपासा में,
कठपुतली जैसा नचाया नेताओं ने,
सुनहरे सपनों की धूमिल-आशा में,
समय के असह्य-थपेड़ों से मायूस ,
है सत्य-संरक्षण की अभिलाषा में,
आम-आदमी बनाम खास-आदमी,
एक-समान हों सर्वत्र-परिभाषा में !
✒️........ राजेश कुमार कौशल