"ग़ज़ल"
उस जैसी कोई नहीं वो बताने लगी है!
मेरे ख़्वाबों में अक्सर वो आने लगी है!!
वो इक सितारा है लेकिन रौशन इस क़दर!
कि चाॅंदनी भी उस से शरमाने लगी है!!
वो आगे है सब से दुनिया उस के पीछे!
नम्बर वन का वो तमग़ा लगाने लगी है!!
उस के जादू से बच जाऊॅं की कोशिश बहुत!
समा के दिल में वो अरमाॅं जगाने लगी है!!
उस से हर रोज़ मुलाक़ात होती तो है!
अब वो मिलने पे नज़रें चुराने लगी है!!
मैं अब तलक प्यार से ना-वाक़िफ़ ही था!
इश्क़ होता है क्या वो बताने लगी है!!
उस के क़दमों में 'परवेज़' दिल रख दिया है!
वो मेरी राहों में पलकें बिछाने लगी है!!
- आलम-ए-ग़ज़ल परवेज़ अहमद
© Parvez Ahmad