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The Flower of WordThe Flower of Word by Vedvyas Mishra

कविता की खुँटी

        

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Dastan-E-Shayra By Reena Kumari PrajapatDastan-E-Shayra By Reena Kumari Prajapat

कविता की खुँटी

                    

आजकल छाई हुई हैं हर तरफ तन्हाईयां

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आजकल छाई हुई हैं हर तरफ तन्हाइयां
दूर होती जा रही हैं अपनी ही परछाइयां

आना था उनको मगर अब तलक आए नहीं
बन के सावन की घटा अब तलक छाए नहीं
लौट कर आई नहीं हैं आज फिर पुरवाइयां
दूर होती जा रही हैं अपनी ही परछाइयां

प्यार था जिनसे हमें वो मशहूर इतने हो गए
ये फासले बढ़ते गए हम दूर इतने हो गए
हमको अब मिलने लगी हर तरफ रूसवाइयां
दूर होती जा रही हैं अपनी ही परछाइयां

कितना था बेताब दिल प्यार करने के लिए
छोङ कर वो चल दिए आह भरने के लिए
तक रही हैं राह उनकी आज भी अमराइयां
दूर होती जा रही हैं अपनी ही परछाइयां
- लेखराम यादव


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रचना के बारे में पाठकों की समीक्षाएं (2)

+

Ankush Gupta said

Bahut achaa likhte hain aap...

Lekhram Yadav replied

अंकुश गुप्ता जी धन्यवाद सहित शुक्रिया।

अशोक कुमार पचौरी 'आर्द्र' said

Waah bahut khoob Yadav Sir Anand aagaya Mana ki Virah Geet hai lekin shabdon ne magic Aisa Kiya hai ki Prem geet pratit hota hai...yahi Jadu hai

Lekhram Yadav replied

सर ये आपका बड़प्पन है जो मुझे इतना सराह रहे हैं। मेरा नमस्कार स्वीकार करें।

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