कापीराइट
आजकल छाई हुई हैं हर तरफ तन्हाइयां
दूर होती जा रही हैं अपनी ही परछाइयां
आना था उनको मगर अब तलक आए नहीं
बन के सावन की घटा अब तलक छाए नहीं
लौट कर आई नहीं हैं आज फिर पुरवाइयां
दूर होती जा रही हैं अपनी ही परछाइयां
प्यार था जिनसे हमें वो मशहूर इतने हो गए
ये फासले बढ़ते गए हम दूर इतने हो गए
हमको अब मिलने लगी हर तरफ रूसवाइयां
दूर होती जा रही हैं अपनी ही परछाइयां
कितना था बेताब दिल प्यार करने के लिए
छोङ कर वो चल दिए आह भरने के लिए
तक रही हैं राह उनकी आज भी अमराइयां
दूर होती जा रही हैं अपनी ही परछाइयां
- लेखराम यादव
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