क्या हो सकता है ऐसा भी,
हर सुबह शाम हो यज्ञ पर्व ,पावन वेदी सजबाई जाए
वेदों का हो मंत्रगान , सबसे आहुति डलवाई जाए
हो चारो तरफ मंत्रों की छाया , स्वस्थ शरीर निरोगी काया
प्रफुल्लित हो सबका तन मन , खुशियों भरा सुनहरा जीवन
सहसा सोचा मैने वैसे ही ,क्या हो सकता है ऐसा भी