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The Flower of WordThe Flower of Word by Vedvyas Mishra The Flower of WordThe novel 'Nevla' (The Mongoose) by Vedvyas Mishra

कविता की खुँटी

        

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The Flower of Word by Vedvyas MishraThe Flower of Word by Vedvyas Mishra
Dastan-E-Shayara By Reena Kumari Prajapat

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The novel 'Nevla' (The Mongoose), written by Vedvyas Mishra, presents a fierce character—Mangus Mama (Uncle Mongoose)—to highlight that the root cause of crime lies in the lack of willpower to properly uphold moral, judicial, and political systems...The novel 'Nevla' (The Mongoose) by Vedvyas Mishra

कविता की खुँटी

                    

आलम-ए-ग़ज़ल परवेज़ अहमद की ग़ज़ल - तुम दोनों जहाॅं को लूट सको वो बात छुपी है तेरी ऑंखों में

"ग़ज़ल"

तुम दोनों जहाॅं को लूट सको वो बात छुपी है तेरी ऑंखों में!
शायद ये तुम्हें मालूम नहीं कायनात छुपी है तेरी ऑंखों में!!

महबूब मेरे तेरी ऑंखों से सुबह और शाम की गर्दिश है!
तेरी ऑंखों की बदौलत दिन निकले रात छुपी है तेरी ऑंखों में!!

तेरी इन झील-सी गहरी ऑंखों में डूब के उभरना मुश्किल है!
कोई तुम से बिछड़ कर तो देखे बरसात छुपी है तेरी ऑंखों में!!

तुम एक नज़र डालो तो सही इस जीवन में उजाला हो जाए!
दिल झूम उठे ऐसी खुशियों की बारात छुपी है तेरी ऑंखों में!!

तेरी ऑंखों को जब से देखा है 'परवेज़' नहीं है होश मुझे!
इक सच्ची मोहब्बत की दिलबर सौग़ात छुपी है तेरी ऑंखों में!!

- आलम-ए-ग़ज़ल परवेज़ अहमद
© Parvez Ahmad

The Meanings Of The Difficult Words:-
*कायनात = ब्रह्माण्ड (universe); *गर्दिश = चक्कर (revolution); *बदौलत = वजह से या कारण से (by means of); *सौग़ात = तोहफ़ा या उपहार (gift).




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रचना के बारे में पाठकों की समीक्षाएं (10)

+

सुभाष कुमार यादव said

बेहद खूबसूरत ग़ज़ल।👌🙏

अशोक कुमार पचौरी 'आर्द्र' said

वाह ‘परवेज़’ साहब! आपने तो आँखों को कायनात की किताब बना दिया!
“दोनों जहाँ को लूट सको वो बात छुपी है तेरी आँखों में” — क्या शेर है! जैसे इश्क़ की पूरी तहज़ीब बस इन आँखों में समा गई हो।
आदरणीय को सादर प्रणाम

शिवचरण दास said

वाह वाह. ..क्या आलम. .क्या परवेज. .क्या सौगात

इक़बाल सिंह “राशा“ said

बहुत खूब परवेज जी
तेरे अशआर में परवेज़, दिल की धड़कनें बोलती हैं
तेरी आवाज़ में जैसे मोहब्बत की ज़ुबान लगे

वन्दना सूद said

तेरी इन झील-सी गहरी ऑंखों में डूब के उभरना मुश्किल है!
कोई तुम से बिछड़ कर तो देखे बरसात छुपी है तेरी ऑंखों में!!👌👌👏👏वाह वाह sir क्या खूब लिखा

आलम-ए-ग़ज़ल - परवेज़ अहमद said

दिल से शुक्रिया, सुभाष जी! ❤️🙏

आलम-ए-ग़ज़ल - परवेज़ अहमद said

तह-ए-दिल से आपका बहुत-बहुत शुक्रिया, अशोक जी! मेहरबानी आपकी! आदाब! ❤️🙏

आलम-ए-ग़ज़ल - परवेज़ अहमद said

बहुत-बहुत शुक्रिया आपका, दास जी! ❤️🙏

आलम-ए-ग़ज़ल - परवेज़ अहमद said

ज़र्रानवाज़ी के लिए तह-ए-दिल से बहुत-बहुत शुक्रिया आपका, राशा जी! नवाज़िश! ❤️🙏

आलम-ए-ग़ज़ल - परवेज़ अहमद said

दिल की गहराइयों से आपका बहुत-बहुत शुक्रिया, वन्दना जी! ये ज़र्रानवाज़ी इनायत है आपकी! ❤️🙏

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