आज की हकीकत से अपने कल को सँवारों
कभी कभी चाहतें हमें हकीकत से अनजान कर देती हैं
बीते समय को फिर से जीना चाहती हैं
कुछ लम्हों को सही करना चाहती हैं
तो कुछ पलों की यादों से बाहर ही नहीं आना चाहतीं
एक ‘काश’ में अटक कर रह जाती हैं
पर वक़्त कभी लौटकर वापिस नहीं आता ।
हकीकत को अपनाकर ही जीवन आसान है
चाहतें कभी भी और किसी के लिए भी ख़त्म नहीं होतीं
हर एक चाहत के साथ एक दूसरी नई चाहत जुड़ी होती है
इसलिए जो बीत गया अच्छा या बुरा
उसे भूलते चलो ,नया सीखते चलो
आज की हकीकत से अगर कल की हकीकत को खूबसूरत बनाना है
तो अपने हर कर्म को निखारते चलो,संवारते चलो ..
वन्दना सूद
सर्वाधिकार अधीन है

The Flower of Word by Vedvyas Mishra
The novel 'Nevla' (The Mongoose) by Vedvyas Mishra



The Flower of Word by Vedvyas Mishra




