एक आह सुलग रही थीं
धुएं में तब्दील हो रही थी
एक आह सुलग रही थी
दर्द भरी लपटों से जल रही थी
धीरे धीरे स्वरूप बदल रही थी
एक आह सुलग रही थी
अंधेरों में ढल रही थी
बचा रिश्ता निभा रही थी
एक आह सुलग रही थीं
ख़ुद लूंट कर राख हो चुकी थी
राख बनकर भी बात पचा रही थी
एक आह सुलग रही थी
मिट्टी की महक से मिल गई थी
नाशवंत होकर असर छोड़ चली थी
एक आह सुलग रही थी