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The Flower of WordThe Flower of Word by Vedvyas Mishra

कविता की खुँटी

        

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Dastan-E-Shayra By Reena Kumari PrajapatDastan-E-Shayra By Reena Kumari Prajapat

कविता की खुँटी

                    

पास -पड़ोस अर्पिता पांडेय

🏠पास पड़ोस🏠
जब हम छोटे बच्चे थे पास पड़ोस
अच्छे थे
तब रिश्ते भी सारे एकदम सच्चे थे
तीज त्यौहार भी लगते अच्छे थे
हो होली दीवाली या कोई और
त्यौहार
सब मिल जुल कर मना लेते थें
तब तिजोरियां छोटी और मन सच्चे थें
कभी मां कभी प‌ड़ोस की चाचियां
एक दूजे का हाथ बंटाती थी
होली के दो रोज पहले ही घर-घर में गुजिया की महक समा जातीं थीं
सच में उन दिनों गुजिया की बात
निराली होती थीं
अब सब कुछ कहीं छूट गया है
अच्छा वाला पड़ोस रुठ गया है
अब त्यौहार भी घर की चारदिवारी में
मना लेते हैं
पड़ोस में है कोई गमजदा
यह भी जान नहीं पाते है
पहले बीमार एक और
तीमारदार अनेक हो जातें थें
देख उन्हें बीमारी दूर भाग जाया करती थीं
अब ना जाने कैसा समय का फेर
या ईर्ष्या और आपसी द्वेष का मन
में हो गया भेद है
एक दूसरे की खुशी किसी से बर्दाश्त
नहीं होती
वह मुझसे ज्यादा रहें दुःखी बस यही कुचक्र चलता रहता है
अब दिल नहीं पत्थर से जान पड़ते हैं
अब पहले का सहयोग रहा नहीं
मन सबके पल रहा वियोग हैं
कोई तो शुरुआत करें पहले दिनों को आबाद करें
बात यह मुमकिन नहीं लगतीं क्योंकि
ताली बजाने के लिए भी
दो हथेलियों का मिलना जरूरी होता है
🌺🏠🌺🏠🌺🏠🌺

✍️#अर्पिता पांडेय




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रचना के बारे में पाठकों की समीक्षाएं (3)

+

वन्दना सूद said

बहुत सही और बहुत सुन्दर विचार अपनी रचना में सजाए 👏👏👌👌

Arpita pandey replied

बहुत बहुत धन्यवाद वन्दना जी 🙏 सादर प्रणाम आपको

Lekhram Yadav said

बहुत खूबसूरत कविता, आपको सादर नमस्कार।

Arpita pandey replied

धन्यवाद आदरणीय आपका 🙏🙏 सादर प्रणाम

अशोक कुमार पचौरी 'आर्द्र' said

Bahut khoobsoorat...man ko choo liya rachna ne...purane dino ki yaad ne bhavuk kar diya Saadar Pranam 🙏🙏

Arpita pandey replied

बस ऐसे ही हौसला अफजाई करते रहियेगा सादर प्रणाम

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