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The Flower of WordThe Flower of Word by Vedvyas Mishra

कविता की खुँटी

        

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Dastan-E-Shayra By Reena Kumari PrajapatDastan-E-Shayra By Reena Kumari Prajapat

कविता की खुँटी

                    

रिश्वतखोर का लोभ

रिश्वतखोर का लोभ
डॉ एच सी विपिन कुमार जैन विख्यात

रिश्वत की कलम से,
गीता की कसम से।
न्याय तरसता है,
शरम से।

भ्रष्टाचार के रोग से,
रिश्वत के योग से,
भ्रष्टाचारी नहीं डरता,
लोभ से।

हर रिश्वतखोर,
कानूनी सजा है, जानता ।
फिर भी न्याय व्यवस्था को, खिलौना मानता
न्याय की किताबों को,
रिश्वत के बोरों में बांधता ।




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रचना के बारे में पाठकों की समीक्षाएं (4)

+

रमेश चंद्र said

बहुत बढ़िया अब तो न्याय जैसा कुछ बचा ही नहीं है सब कुछ पैसों से खरीद लिया जाता है

Bhushan Saahu said

हर सरकारी दफ्तर की कहानी यही है

वन्दना सूद said

बिल्कुल सही लिखा आपने 🙏👏👏

अशोक कुमार पचौरी 'आर्द्र' said

Aapki lekhni ko naman aasha karta hu ye kabhi na jhukegi na rukegi...bahut achhi rachnayein aapki sabki sab...samajik mudde ....Prem par bahut hua ....mudde hone chahiye kavya me sahitya me novel me news me....har jagah samajik mudde jo aapki rachnaon me bakhoobi h

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