बाल कविता : कौवा....
कितना अच्छा कौवा है
का का का करता है
आदमी पास जाए तो
वह बहुत डरता है
घर घर की वह
खबर लेता है
फिर सभी को
वही खबर देता है
कुछ देर बैठ कर
वह उड़ जाता है
फिर जल्दी जल्दी
वापस भी आता है
उसको दाना दें तो
वह खाता है
शीर अपना इधर
उधर हिलाता है
कभी कुछ खाता तो
कभी पानी पिता है
कभी उड़ता कभी बैठता
मस्ती से जीता है
वह भी पंछी एक
अभिन्न हमारा है
काला काला कौवा
बड़ा ही प्यारा है
काला काला कौवा
बड़ा ही प्यारा है.......