आदत से मजबूर दूसरो को आइना दिखाते।
वक्त निकालकर कभी अपने अन्दर झांकते।।
उनका फ़रमान अपने सिर आँखो पर रखा।
यह सब होते आस-पास के लोग रहे देखते।।
दावा करने वाले लोग सब मुफ़लिस निकले।
छाता लगा करके धूप को 'उपदेश' रहे रोकते।।
- उपदेश कुमार शाक्यावार 'उपदेश'
गाजियाबाद