मेरे दिल की हिलोरे है तेरे लिए
होके कातर पुकारे ये तेरे लिए
पा निशा कि ये शीतल सुगन्धित पवन
फ़िर मचलता है मुझसे हा तेरे लिए
मेरे जीवन की सरिता है तेरे लिए
मेरे मन का है हर अक्स तेरे लिए
तू मिले तो मैं तुझको बताउ सही
ये आंखे कितनी है आतुर दरश के लिए
पिघल गया पाके ऊर्जा तेरे स्वाशो की
मैने रक्खा था पत्थर जो दिल पे कहीं
मैने प्याला लगाया लवो मे सही
पर वह भर न सका जख्म पल भर को भी
फिर वो रह रह पुकारे तुझे ही तुझे
क्यूकी दिल ये बेचारा है तेरे लिए
फ़िर मचलता है मुझसे ये तेरे लिए
मेरे सपने कभी भी तो सच ना हुए
क्यूकी उनको सजाया था तेरे लिए
मेरा दिल ये पुकारे हा तेरे लिए
होके व्याकुल जो मैंने पुकारा तुझे
तूने काजल लगाया तो मेरे लिए
मिल गई जब नज़र खिल उठी तब निशा
क्योंकि व्याकुल थी आंखे ये तेरे लिए
मेरा दिल ये पुकारे है तेरे लिए
भर गया था गला जब यह तेरा प्रिये
सुनके मुझसे विरह की वो बातें कही
बह चला प्रेम अमृत दृगो से तेरे
तूने वर्षो संभाला जो मेरे लिए
मिल सकेगी नज़र ये ना तुझसे कभी
मेरी आँखों में छल था जो तेरे लिए
तूने मुझको सम्हाला खुदा के लिए
मैंने आशु दिया तू खुदा हो गई
क्यूकी मांगी जो मंन्नत थी मेरे लिए
मैंने दिल को संभाला है तेरे लिए
फिर भी दिल ये पुकारे हा तेरे लिए
तेजप्रकाश पांडे सतना मध्य प्रदेश


The Flower of Word by Vedvyas Mishra
The novel 'Nevla' (The Mongoose) by Vedvyas Mishra
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