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The Flower of WordThe Flower of Word by Vedvyas Mishra

कविता की खुँटी

        

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Dastan-E-Shayra By Reena Kumari PrajapatDastan-E-Shayra By Reena Kumari Prajapat

कविता की खुँटी

                    

एक गज़ल बन जाती है – कमलकांत घिरी

दिनभर सोंचता रहता हूं तुझे,
तेरी बहुत याद आती है,
और तो कुछ नहीं मगर...
सुबह से शाम होते–होते तुझपर एक गज़ल तो बन ही जाती है।।

----कमलकांत घिरी'




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रचना के बारे में पाठकों की समीक्षाएं (9)

+

फ़िज़ा said

वाह क्या खूब लिखा !!

कमलकांत घिरी said

Sukriya maim

रमेश चंद्र said

Waah waah kya bat hai.

ताज मोहम्मद said

बहुत ही उम्दा लिखा। शानदार लाज़वाब।

अशोक कुमार पचौरी 'आर्द्र' said

बहुत खूब कुछ नहीं होता तो क्या हुआ हमें पढ़ने के लिए तो कुछ मिल ही जाता है होप किसी दिन ग़ज़ल भी बने और याद न आकर वो स्वयं प्रकट हो जाएं

कमलकांत घिरी said

Sukriya🙏

रीना कुमारी प्रजापत said

और तो कुछ नहीं मगर सुबह से शाम होते होते तुझ पर एक ग़ज़ल तो बन ही जाती.... वाह! बहुत ही खूबसूरत पंक्तियां,

कमलकांत घिरी said

Thank you mam

वन्दना सूद said

वाह वाह क्या खूब

कमलकांत घिरी replied

बहुत धन्यवाद मैम आपका 🙏

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