गर मुझे आभास होता
तुम इतना बदल जाओगे
तो ईश्वर को सी देने चाहिए थे
होंठ तुम्हारे जब तुम कह रहे थे –
‘तुम बिन जीवन फीका था मेरा’
मरने को छोड़ देना चाहिए था तुम्हे
जब तुमने हथेली काट
मुझे वापस पाना चाहा था
ज़बान पर ताले लगा देने चाहिए थे
जब तुमने झूठ कहे की –
‘जल्दी लौटना सफर से’
फाड़ देने चाहिए थे वो सभी ख़त
जिनमें मुझे पाने की तमाम कोशिशें थी
गर मुझे आभास होता
तुम इतने बदल जाओगे
तो मैं ईश्वर से तुमको
मांगा ना करता।
– राहुल अभुआ