जब तक सबका मतलब हल है
तब तक कीचड़ गंगा जल है
किसको जग में क्या है मिलता
ये तो बस कर्मो का फल है
खुद पर इतना मत इतराओ
सबका इक दिन आना कल है
अपनी अर्थी खुद ढोते हो
मान गये हम तुम में बल है
चाँद सितारे दोगे हमको
रहने भी दो ये तो छल है
हमसे दूर चले जाओगे
हम भी देखेंगे क्या हल है
देख हमें भर आईं हैं क्या
आँखों में क्यों इतना जल है
बात पुरानी लगती है वो
कल जो कहते थे तुम कल है
केवल इतनी बात समझ लो
मिलकर रहने में ही बल है
____समीक्षा सिंह