New रचनाकारों के अनुरोध पर डुप्लीकेट रचना को हटाने के लिए डैशबोर्ड में अनपब्लिश एवं पब्लिश बटन के साथ साथ रचना में त्रुटि सुधार करने के लिए रचना को एडिट करने का फीचर जोड़ा गया है|
पटल में सुधार सम्बंधित आपके विचार सादर आमंत्रित हैं, आपके विचार पटल को सहजता पूर्ण उपयोगिता में सार्थक होते हैं|

Show your love with any amount — Keep Likhantu.com free, ad-free, and community-driven.

Show your love with any amount — Keep Likhantu.com free, ad-free, and community-driven.



The Flower of WordThe Flower of Word by Vedvyas Mishra

कविता की खुँटी

        

New रचनाकारों के अनुरोध पर डुप्लीकेट रचना को हटाने के लिए डैशबोर्ड में अनपब्लिश एवं पब्लिश बटन के साथ साथ रचना में त्रुटि सुधार करने के लिए रचना को एडिट करने का फीचर जोड़ा गया है|
पटल में सुधार सम्बंधित आपके विचार सादर आमंत्रित हैं, आपके विचार पटल को सहजता पूर्ण उपयोगिता में सार्थक होते हैं|

The Flower of Word by Vedvyas MishraThe Flower of Word by Vedvyas Mishra
Show your love with any amount — Keep Likhantu.com free, ad-free, and community-driven.

Show your love with any amount — Keep Likhantu.com free, ad-free, and community-driven.

Dastan-E-Shayra By Reena Kumari PrajapatDastan-E-Shayra By Reena Kumari Prajapat

कविता की खुँटी

                    

नवयुगल - अशोक कुमार पचौरी


नवयुगल,
प्रेम रस पी पीकर,
मधुकर दिनकर,
और रजनी भर,
युवा दिवा भर,
और प्रौढ़ रात भर,
कभी निकलें बन करके कविता,
कभी छंद वंद स्वछन्द निख़र,
रजनी रजनी रजनीकर के,
दिवा दिवस के दिनकर के,
अध्भुत विशाल और सौम्य नभ में,
कभी बन के खग विहार करते,
है यहीं पर यौवन वन और तट,
ये हैं प्रेम के माझी केवट,
नभ वृंद वृंद वृन्दावन से,
कभी कृष्ण, राधिका बन करके,
कभी मथुरा में , वृन्दावन में,
इनकी माया ये ही जाने,
ये नवयुगल,
ये प्रेम वत्स,
करते परिभासित,
प्रेम इधर,
ये प्रेम भी बस ये ही जाने,
बुनते रहते ताने बाने,
तम में और अति तम में,
भी पाजाते पथ को,
विचलित होते हैं क्षण भर को,
फिर वापस राह को पाते हैं,
मंजिल को आते जाते हैं

----अशोक कुमार पचौरी




समीक्षा छोड़ने के लिए कृपया पहले रजिस्टर या लॉगिन करें

रचना के बारे में पाठकों की समीक्षाएं (2)

+

Lekhram Yadav said

सर नमस्कार आप हमें ये किस मकड़जाल में उलझा रहे हो और खुद प्रेम रस का आनन्द उठा रहे हो। थोङा हमारी ओर देख लेते तो हम भी खुश हो जाते। शब्दों का चयन बहुत गम्भीरता को दर्शा रहा है मेरी तो कल्पना में भी नहीं है। फिर भी पढ़ कर एक नई उर्जा मिल रही है।

अशोक कुमार पचौरी 'आर्द्र' replied

Shriman aapki pratikriya se utsahvardhan avashya ho raha hai lekin prem ras ko to aapke liye sanjo kar laaya hun, aanand lein is prem ras ka.

वेदव्यास मिश्र said

बहुत ही आनन्दमयी प्रेममयी खूबसूरत प्राकृतिक रचना 👌👌 मतलब प्रेम रस में डूबने का मजा ही कुछ और है !! शुभाशीष नमन 💝☝

अशोक कुमार पचौरी 'आर्द्र' replied

Adarneey Acharya Ji itni sundar pratikriya evam Ashish ke liye aapka bahut bahut abhaar evam saadar pranam 🙏🙏

कविताएं - शायरी - ग़ज़ल श्रेणी में अन्य रचनाऐं




लिखन्तु डॉट कॉम देगा आपको और आपकी रचनाओं को एक नया मुकाम - आप कविता, ग़ज़ल, शायरी, श्लोक, संस्कृत गीत, वास्तविक कहानियां, काल्पनिक कहानियां, कॉमिक्स, हाइकू कविता इत्यादि को हिंदी, संस्कृत, बांग्ला, उर्दू, इंग्लिश, सिंधी या अन्य किसी भाषा में भी likhantuofficial@gmail.com पर भेज सकते हैं।


लिखते रहिये, पढ़ते रहिये - लिखन्तु डॉट कॉम


© 2017 - 2025 लिखन्तु डॉट कॉम
Designed, Developed, Maintained & Powered By HTTPS://LETSWRITE.IN
Verified by:
Verified by Scam Adviser
   
Support Our Investors ABOUT US Feedback & Business रचना भेजें रजिस्टर लॉगिन