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The Flower of WordThe Flower of Word by Vedvyas Mishra

कविता की खुँटी

        

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Dastan-E-Shayra By Reena Kumari PrajapatDastan-E-Shayra By Reena Kumari Prajapat

कविता की खुँटी

                    

कैसे मुस्कुराऊं मैं – कमलकांत घिरी

तकलीफें बहुत है जिंदगी में ये किसको बताऊं मैं,
अपने ग़म के किस्से किसको सुनाऊं मैं,
कोई हमदर्द भी तो नहीं साथ मेरे जिसे दर्दएदिल बयां कर सकूं,
ऐसी हालात में यूं बेवजह कैसे मुस्कुराऊं मैं..!

–कमलकांत घिरी ✍️




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रचना के बारे में पाठकों की समीक्षाएं (3)

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Lekhram Yadav said

बहुत सुन्दर रचना कमलकांत भाई, धीरे धीरे दर्द में जब जीना सीख जाओगे तो आप बेवजह मुस्कुराना भी सीख जाओगे, सुप्रभात सहित सादर नमस्कार।

कमलकांत घिरी replied

इस खूबसूरत नसीहत भरी समीक्षा के लिए आपका तहेदिल से धन्यवाद यादव सर जी 🙏 प्रणाम 🙏

रीना कुमारी प्रजापत said

Hum kis liye hai bhai hume sunaiye apana dard e dil... Or rahi baat muskurane ki to aise haalat mein bewajah muskurana padata hai tabhi zindagi aasaan hoti hai ... Warna zindagi jina mushkil hota hai isliye bewajah muskurane ki aadat daal lijiye...😊

कमलकांत घिरी replied

हां आपने बिल्कुल सही कहा दीदी जी हालात विपरीत हो फिर भी बेवजह मुस्कुराना तो पड़ता ही है! और सच आप सब है इसी लिए तो हालेदिल बयां कर पा रहा हूं मैं नहीं तो ये जज़्बात भी दिल के कब्रिस्तान में कब का दफ्न हो गया होता। समीक्षा के लिए धन्यवाद सहित सादर प्रणाम दीदी जी🙏

श्रेयसी said

दर्द बहुत कुछ सिखाता भी है। बहुत सुंदर रचना 👌👌🙏🙏

कमलकांत घिरी replied

Sahi kaha aapne, Shukriya mam🙏

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