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The Flower of WordThe Flower of Word by Vedvyas Mishra

कविता की खुँटी

        

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Dastan-E-Shayra By Reena Kumari PrajapatDastan-E-Shayra By Reena Kumari Prajapat

कविता की खुँटी

                    

फ़ुर्सत ना मिली

उसे मुझे याद करने की कभी फ़ुर्सत ना मिली,
मैं रही इसी इंतज़ार में कि कभी तो उसे फ़ुर्सत मिलेगी।
आज नहीं तो कल मिलेगी,
लेकिन उसे फ़ुर्सत ना तो कल मिली और ना ही
फ़ुर्सत आज मिली।

मैं ही हर वक्त उसे याद किया करती हूॅं,
पूछती हूॅं उससे कि तुम भूल गए हो मुझे।
और वो कहते हैं,
फ़ुर्सत नहीं है मुझे।

इस जहां में सभी बड़े मसरूफ़ है किसी ना किसी
काम में,
पर हम तो सिर्फ़ मसरूफ़ है अपनों को याद करने में।
जिसे किसी से प्यार नहीं उसे उसको याद करने की
फ़ुर्सत नहीं मिलती,
पर जिसे प्यार है किसी से उसे उसको याद करने
के लिए फ़ुर्सत की ज़रूरत नहीं पड़ती।

फ़ुर्सत तो बस एक बहाना है,
असली बात तो हमे याद ना करना है।
याद करने वाले कभी फ़ुर्सत के मोहताज नहीं होते,
जिन्हें याद करना है वो तो नींदों में भी याद कर लेते हैं।
🌼 रीना कुमारी प्रजापत 🌼




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रचना के बारे में पाठकों की समीक्षाएं (6)

+

Jivani Sharma said

Thik kha.chahne bale to time nikal hi lete hain. Na yad krne balo ka kya ha. Puri jindgi bhi kam ha.

रीना कुमारी प्रजापत replied

धन्यवाद!

Suhani Rajput said

Sahi bat ha yad krne bale ko bhane ki jarurt nahi hoti. Yu hi kr lete hain yad.

रीना कुमारी प्रजापत replied

शुक्रिया

Lekhram Yadav said

नमस्कार मेरी प्यारी बहना, मगर हम अपनी बहना को कभी नहीं भूलने वाले। इतनी अच्छी रचना के लिए मेरी तरफ से दिल से एक सैल्यूट स्वीकार कीजिए।

रीना कुमारी प्रजापत replied

सैल्यूट स्वीकार है, बहुत बहुत आभार आपका

Vadigi.aruna said

Wow last two lines are very nice mam Bahut aacha likha aapne

रीना कुमारी प्रजापत replied

Thanks Aruna my Little sister

अशोक कुमार पचौरी 'आर्द्र' said

Bahut sundar abhivyakti ek dam sach likha h mam aapse sahmat hu. Bahut hi pyari rachna pranam sweekar karein 🙏🙏

रीना कुमारी प्रजापत replied

प्रणाम स्वीकार है🙏 दिल से शुक्रिया

वन्दना सूद said

वाह वाह!!छू गई last lines 👏👏great

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