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The Flower of WordThe Flower of Word by Vedvyas Mishra

कविता की खुँटी

        

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Dastan-E-Shayra By Reena Kumari PrajapatDastan-E-Shayra By Reena Kumari Prajapat

कविता की खुँटी

                    

बड़े अजीब इंसान हो तुम

बड़े अजीब इंसान हो तुम,
जो पास है उनसे दूर रहते हो तुम।
और जो दूर है उन्हें पास करने में लगे हो तुम,
बड़े अजीब इंसान हो तुम।

जो जान लुटाते है तुम पर,
उनसे उखड़े-उखड़े से रहते हो तुम।
और जो देखना तक चाहते नहीं तुम्हें,
उन्हें अपनी सिर आंखों पर बिठाए हो तुम।
बड़े अजीब इंसान हो तुम..........

जो जानते हैं तुम्हें,
उनसे अजनबी सा सुलूक करते हो तुम।
और जो जानते तक नहीं तुम्हें,
उन्हें अपनों से ज़्यादा तवज्जो देते हो तुम।
बड़े अजीब इंसान हो तुम...........

जो तुमसे एक लफ़्ज़ सुनने को तरसते रहते,
उनसे बिना वजह ही नाराज़ रहते हो तुम।
और जो बात भी नहीं करना चाहते तुमसे,
बस उन्हीं की बातें करते रहते हो तुम।
बड़े अजीब इंसान हो तुम........

🖋️ रीना कुमारी प्रजापत 🖋️




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रचना के बारे में पाठकों की समीक्षाएं (4)

+

सुभाष कुमार यादव said

जीवन की वास्तविकता को शब्दों में वर्णित कर दिया आपने। बहुत सुंदर रचना।👌👌👌🙏

रीना कुमारी प्रजापत replied

Thanks ji

कमलकांत घिरी said

ये तो वास्तव में सत्य है दीदी जी जो पास होता है हम उसकी कद्र करना भूल जाते हैं और जो पास नहीं होता बस उसी की गुणगान करते रहते हैं, बहुत अच्छा लिखा आपने 👌👏🙌🙏😊 प्रणाम 🙏

रीना कुमारी प्रजापत replied

Yes shukriya 🙏 प्रणाम

Updesh Kumar Shakyawar said

अच्छी खबर ली....बहुत मार्मिक

रीना कुमारी प्रजापत replied

Dhanyawad

Lekhram Yadav said

मेरी प्यारी बहना सुबह सुबह इतनी खूबसूरती के साथ आज किसकी ताजपोशी में लगी हो, आपको सुप्रभात सहित सादर नमस्कार।

रीना कुमारी प्रजापत replied

Hai koi apana hi.... Thank you so much

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