एक डाल पर फूल सूल की सहयोगी रीति रही।
प्यारे रिश्ते में खुशियाँ चाही दुख की प्रीति रही।।
पीर बढ़ाते रिश्ते देखे उनके भी अब भाव बढ़े।
मिलना जुलना दूर हुआ जैसे घुटने की प्रीति रही।।
मदद की आशा मत रखना दे सकते घाव नये।
शायद बदले मन 'उपदेश' बेढंगी उनकी रीति रही।।
- उपदेश कुमार शाक्यवार 'उपदेश'
गाजियाबाद