जब भारत की पावन धरा ने
आकर्षित किया उस गहरे मन को
जिसने रचा था विध्वंस का बीज
पर आत्मबोध से जलता अंतरतम।
नेहरू थे शान्ति-उपासक
आधुनिकता के सृजन-विवेक
जब दुनिया थी शीत युद्ध में
हर मन में था परमाणु भय प्रचण्ड।
न अमेरिका, न रूस का साथ
नेहरू ने चुनी अपनी राह
शान्ति, एकता का दीप जलाया
हथियारों को दूर भगाया।
नियंत्रण हो परमाणु शक्ति पर
न हो विनाश, न फैले डर
ओपेनहाइमर भी थे सहमत
वैश्विक-शान्ति हेतु थे अति प्रतिबद्ध।
नेहरू को भेजा पत्र गोपनीय
शब्द थे उसमें अति गम्भीर
न करना साझा वह पदार्थ
जो कर दे विश्व का संहार।
दोनों थे एक चेतना के
मानवता के दिव्य दर्पण
आज भी उनकी बातें सत्य
दुनिया खोजे वही दर्शन।
प्रतीक झा 'ओप्पी'
इलाहाबाद विश्वविद्यालय, प्रयागराज
kvpprateekjha@gmail.com


The Flower of Word by Vedvyas Mishra
The novel 'Nevla' (The Mongoose) by Vedvyas Mishra
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