गूगल किया था मैंने, जाना
काले-जादू के कुछ लक्षण।
वास करते घर में आपके
चूहें, खटमल, कीड़े, चमगादड़।1
रोज़ ही डेरा डाले रहते
देते शत्रु की आहट।
सर्वनाश जो करने की
रखता अपने मन में चाहत।2
रोज़ ही जिसके भी घर में
गतिविधि इनकी देखी जाती है।
ख़त्म होती उस घर की सुख-शांति
कार्यों में बाधा आती है।3
नहीं चाहता शत्रु देखना
ऐसे घर को हंसता-खेलता।
घर से आती हंसी की आवाज़ें
सुन रिपु के सीने सांप फैलता।4
घर के बाहर कूड़ा फैलाएं
और आपको करे परेशान।
ये मानव नहीं होता है
ये तो है इक जीवंत शैतान।5
चाहता आपके घर में करवाना
नकारात्मक काली शक्तियों का वास।
चाहे आपकी हत्या करना
उसकी होती है ये ही आस।6
वेदों और ग्रंथो ने भी
ये ज्ञान हमें सुनाया है।
साफ़-सफ़ाई जहां है होती
ईश्वर वहीं ही पाया है।7
करने से पहले पूजा
हम उस स्थान को स्वच्छ किया करें।
पाने को ईश्वर का साथ
जप-तप नियम से किया करें।8
होगा जप और तप भी तब ही
जबकि स्थान हो निर्मल-स्वच्छ।
क्योंकि सफ़ाई ही बनती है
आपका आवरण, आपका कवच।9
इसके विपरीत जब भी शत्रु
शैतान का वास कराता है।
सबसे पहले परजीवी जीव
आपके घर में प्रवेश करवाता है।10
करता आपके घर में गंदगी
अंदर-बाहर दोनों ओर।
चुराता आपके घर से स्वच्छता
जैसे चोरी करता है चोर।11
घर के बाहर जमा कराता
आपके निशदिन ही कूड़ा।
ज्यों डंपिंग ग्राउंड में जाके
फेंक देता कूड़ा चूढ़ा।12
जहां भिनकती रहती मक्खियां
दुर्गंध ही उठती रहती है।
जैसे कोई लाश पड़ी हो
मुक्ति ही ना जिसे मिली है।13
घर आपका भी होता जाता
ऐसा ही कुछ धीरे-धीरे।
गंदगी दिखती घर के अंदर
और बाहर कूड़े में कीड़े।14
जानबूझ के रख कर कूड़ा
आपके घर के ही बाहर।
नकारात्मक ऊर्जा को न्योता
देता शत्रु करता मारण।15
ऐसे करते रोज़ उसे जब
महीने बीत है जाया करते।
आपके घर में गंदगी दिखती
शरीर में रोग है आया करते।16
जब भी आप कूड़े बाबत
बात करो या उसे हटाओ।
लड़ता शत्रु विरुद्ध है जाकर
गंदगी यहां से तुम ना उठाओ।17
नहीं चाहता वो ये गंदगी
आप उठा तोड़ो उसका प्रण।
टूट गया जो चिल्ला उसका
टूटेगा नकारात्मक ऊर्जा का बंधन।18
बच जाओगे आप और
वो शत्रु स्वयं ही मार खाएगा।
उल्टा पड़ जाएगा वार उसका
अपने घर में नकारात्मक ऊर्जा बुलाएगा।19
यही नहीं वो चाहता, करता
रहता अपनी देहली साफ़।
लेकिन गली का कचरा-कूड़ा
करता आपके घर के पास।20
जब दिन पूरे हो जाते और
चिल्ला पूरा हो जाता।
शत्रु देख के हाल आपके,
घर के, बड़ा खुश हो जाता।21
नहीं जानता उसने जिस
नकारात्मक ऊर्जा का आह्वान किया।
वो उसको भी ले डूबेगी
परमात्मा ने ये वरदान दिया।22
देवो के है देव जो भोले
विष भी उनके ही कंठ पड़ा।
पीने को तो देव बहुत थे
पर थी नहीं पीने की मंशा।23
मंशा की भी बात नहीं
वो नहीं थे इतने शक्तिवान।
जो कंठ में विष को वास दे सकें
और कहलाते नीलकंठ भगवान।24
भूतों और प्रेतों को संभाले
रहते जो शमशान में है।
उनके जैसा भला कोई और कहां
वो तो भोले भगवान ही है।25
जो अज्ञानी किसी अनहोनी
को देता आमंत्रण किसी और के घर।
निश्चित ही उसका हर्ज़ाना
भरना पड़ता, यही है नियम।26
शंभू ने किया जहां तारण को
घोर-अघोरों में भी वास।
रहता वही भोला तेरे भी
और मेरे भी मन के ही पास।27
हृदय जिसका हो निर्मल
कोमल से हो जिसके आचार-विचार।
भंडारी करता उसकी रक्षा
और करता दुष्टजनों पर वार।28
महादेव ही ऐसे है जो
प्रेतों के वास में गमन करें।
समय पड़े मनु रक्षा हेतु भी
काली ऊर्जाओं का दमन करें।29
बड़े-बड़े राक्षस थे उपजे
घोर अस्वच्छता के कारण।
शिव ने उनपर उपकार किया
बन गए थे उनके तारहारण।30
कर उन राक्षसों का संहार
सृष्टि की उनसे रक्षा की।
हाहाकार मचाते निशाचरों को
विकराल रूप धर भक्षा भी।31
ये तंत्र-मंत्र और टोने-टोटके
सबके शिव ही दाता है।
ये शास्त्र दिया मनु हित में था
भोले ही कलियुग ज्ञाता है32
तंत्र-शास्त्र को भोले ने
दिया था इस हेतु वरदान।
विपत्त काल में मनुष सहज ही
कर सके सरल शक्ति आह्वान।33
कर सकें देव को याद और
अपने बंधन वो काट सके।
विघ्नों को समाप्त अपने करे वो
और खुशियां मानव में बांट सके।34
लेकिन कलियुग की धारणा है जैसी
बहुतायत में यहां निपट मूर्ख है।
लोभी, मोही, क्रोधी, व्याभिचारी
विचरण करते कुछ ईर्ष्यालु, पाखंडी, धूर्त है।35
इनके वश में नहीं जब आता
कोई मनुष या खुशी का रस्ता।
ये गलत-प्रयोग फिर करते हैं
रुलाते मनुष, हंसता-खेलता।36
कर के काले-प्रयोग ये कुछ
ऐसे भोले बन जाते है।
जैसे ये दूध पीते बालक
और कुछ भी समझ नहीं पाते है। 37
करते दिखावा, भोले की भक्ति
ये बड़े चाव से करते है।
पर अंदर के शैतान के वश हो
कुकर्म करते और छिपते है।38
छिपा यूं देते अपने बुरे कर्मों
को ऐसे जैसे की शक्ति।
अस्तित्व में आती है लेकिन
कभी नहीं किसी अक्षु देखी। 39
ये कलि के युग के राक्षस
रखते है मानव का ही रूप।
अमावस्या सा घोर अंधेरा
इनका जीवन, विष अनुरूप।40
विष करता जीवन की काट
पहुंचा देता मृत्यु द्वार है।
अच्छे-भले स्वस्थ शरीर में
करता काले-जादू की मार है।41
फेंक के वशीकरण का जाल
कर लेता है जीव काबू।
कीलक, मारण, उच्चाटन,
सम्मोहन, करता काला-जादू।42
शिव ने नहीं दिया था तंत्र
ये शास्त्र ही हत्या करने को।
दिया था पृथ्वी के कलि के
युग के मानव की रक्षा हेतु।43
धीरे-धीरे से ये सातवां
मन्वंतर भी है बीत रहा।
आने वाले आठवें मन्वंतर की
सूचना हमें दे है रहा।44
युग के तारणहार आठ
चिरंजीवी तब प्रकट होंगे।
राक्षस हताश होकर निराश
चरणों में तब संकट होंगे।45
जो आज है करते मार-काट
और लूट-पाट भी करते है।
कभी धन चोरी, कभी लज्जा
और कभी हत्या भी करते है।46
ऐसे क्रूर जनों के जीवन
पर तब घातक घन होगा।
कल्कि करेंगे इनका सर्वनाश
उजियारा दसों ओर सघन होगा।47
मानव रूपी राक्षस तोड़े
कर्मों से नर्कों का द्वार स्वयं।
जीते जी नोंचा अपने जैसा
और रखा स्वर्ग जाने का भरम।48
इक पर इक करता आया पाप
और मंदिरों के चक्कर काटे है।
सोचा ना तेरा बढ़ रहा ग्राफ
नर्क में खानी तुझे लातें है।49
कि मृत्यु के भगवान जो है
श्री मान महा राज यमराज।
कोटि-कोटि मृत आत्माओं से
पापी और पुण्यात्मा छांटे है।50
_______मनीषा सिंह