बिना गिने ही मारे थप्पड़ खुद ही अपने गालों पे
बहुत करीबी यारी जो थी छिपकर डसने वालों से
मेरे हैं सब मेरा है सबसे मैं ये कहता था
दुःख के दिन जब आये हों मैं साथ-साथ ही रहता था
थी तलाश मौके की तुम्हें गर जरा जिक्र किया होता
दिल में मेरे बहुत जगह थी जो हुआ कभी भी ना होता
खो चुकी है तेरी अब अमानत तू जा
ले भी ली है मैंने तेरी जमानत तू जा
गिर चुका है तेरे चेहरे का बहुत भाव भी
खत्म हो ही रहा है मेरा कीमती लगाव भी
अब तेरी मुस्कान में वो दम नहीं होगा
फ़ास्ला अब जरा भी कम नहीं होगा
जितनी चाहूंगा दूरी बढ़ा लूंगा मैं
अपनी महफ़िल को फिर से सजा लूंगा मैं
याद गर कर ठीक से तो होगा मालूमात्
तूने ही खुद की लगाई कीमत,फिर औकात
ना किया था प्यार ही ना था ही आहतियात्
बिल्कुल गिरने के बाद तूने लगाई अपनी जात
इतने करम के बाद भी मैं था तेरे ही साथ
सबको किया अनसुना ना सुनी किसी की बात
सब जान लेने पर तुझे ही गलत पाया मेरी जान
फिर हमने खुद को चार तमाचा और लगाया !