कविता - गजब की संसार....
कहीं बंजर है तो
कहीं खेत है
कहीं पत्थर है तो
कहीं रेत है
कहीं गांव है तो
कहीं शहर है
कहीं अमृत है तो
कहीं जहर है
कहीं गर्मी है तो
कहीं ठंड है
कहीं खंड है तो
कहीं अखंड है
कहीं मेला है तो
कहीं झमेला है
कहीं गाड़ी है तो
कहीं ठेला है
कहीं काठ है तो
कहीं लकड़ी है
कहीं बिल्डिंग है तो
कहीं झोपड़ी है
कहीं नफरत है तो
कहीं प्यार है
ये संसार गजब की
ये संसार है
ये संसार गजब की
ये संसार है.......