वैसे तो आज मम्मी-पापा दोनों ही चिन्तित
थे ! दिन भर के बाद बेटी के फोन की घंटी जब बजी तो मम्मी-पापा दोनों ने राहत की साँस ली ।
जैसे ही फोन को ऑन किया डाॅक्टर पापा ने तो एक मर्दाना आवाज़ सुनाई दी।
मैं इन्सपेक्टर सिंह बोल रहा हूँ और आप कौन बोल रहे हैं ....नेहा की मम्मी या पापा ??
किसी अनहोनी समाचार की आहट से नेहा के पापा का दिल बैठ गया और लगभग हकलाते हुए पूछा-
म म मैं नेहा का पापा ही बोल रहा हूँ..क क क क्या हुआ मेरी बेटी को !
मेरी बेटी के मोबाईल से आप क्यों बात कर रहे हैं !!
कहाँ है मेरी बेटी नेहा ?
...एक साँस में ही कह गये अपनी बात नेहा के पापा ।
दूसरी तरफ से बिलकुल सधी सी आवाज आई ...
हमें बताने में अच्छा तो नहीं लग रहा है मगर क्या करें सर जी..ये हमारी ड्यूटी है.
बस रिक्वेस्ट है. समाचार सुनकर सँभालियेगा अपने आप को..आपकी नेहा बेटी अब इस दुनिया में नहीं है !
कुछ फार्मेलिटीज है जिसके लिए आप लोगों को आना पड़ेगा !
आपकी बेटी का एक सुसाइड लेटर मिला है जो हमारे पास है !
आप लोग आयेंगे तभी हम ये लेटर आपको दिखा पायेंगे !!
आगे पढ़ें - साॅरी मम्मी..साॅरी पापा !! - अंतिम अध्याय - वेदव्यास मिश्र
लेखक : वेदव्यास मिश्र
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