तस्वीर नई नही पुरानी सामने आई।
मोहब्बत पुरानी लगी जब मुस्कराई।।
रिश्ते हरे हो गए जाने अनजाने में मेरे।
पुराने गाने की फर्माइश सामने आई।।
सब भूल कर गुनगुनाने की कोशिश।
रंग लाई 'उपदेश' तारीफ़ सामने आई।।
दूर दिखने वाले भी करीब दिखने लगे।
आवाज में उनके कशिश सामने आई।।
- उपदेश कुमार शाक्यावार 'उपदेश'
गाजियाबाद