सिखा न सकी उम्र भर तमाम किताबें मुझको।
कुछ चेहरो ने 'उपदेश' सबक सिखाये मुझको।।
हम इतने भी बुरे नही जितना लोगों ने बटाया।
गलत लोगों की संगत ने सबक सिखाये मुझको।।
भलाई करते रहे ज़माने की परवरिश में उनकी।
ख़फ़ा होने वालों ने खूब सबक सिखाये मुझको।।
चाँद तारो पर उँगली न उठाओ ये जमीन वाले।
बेवजह उकसाने वालों ने सबक सिखाये मुझको।।
उजाले भी रास्ता न दिखा सके लालची लोगों को।
गरीबी के मातम ने संगीन सबक सिखाये मुझको।।
- उपदेश कुमार शाक्यावार 'उपदेश'
गाजियाबाद