पथ पथ पर पथ प्रदर्शन किया
बिन पथ प्रदर्शन कौन जिया
मुझे तो पथ प्रदर्शन करने वाले ऐसा मिले
टूट गया दिल न डॉक्टर शीले
लेकिन फिर अटल जी से मेरी मुलाकात हुई
आपस में थोड़ी कविता पर बात हुई,
खैर छोड़ो
हम अटल बिहारी वाजपेई जी के चेले हैं,
क्यों जाने राह सरल होगी,
मुझे ठुकराया इस दुनिया ने
यह दुनिया एक दिन विफल होगी
झूठे से प्रीत, अपनों से मीत ,
कभी हार कभी मेरी हुई जीत ,
मरुधर की छाती चीर के
उपजु बनकर फिर नया गीत,
अटल जी का इतना सानिध्य मिला,
कविता को गीत बना बना लिखता हूं,
तुम जब भी देखो मुझको
मैं दिनकर समक्ष मुंह किए दिखता हूं,
मैं अटल जी का चेला
उपजु गा पुन बनकर रत्नाकर,
नया प्रभात उग आया
नया उगा फिर दिनकर
----अशोक सुथार