खत आते थे एक जमाने में लिफाफे के अन्दर।
अपनी दास्ताँ लिखकर भेजते थे उसके अन्दर।।
खत किसी के हाथ लग जाये पोल खुल जाये।
ऐसी वैसी बात समझ कर हो जाते थे बवन्डर।।
झुरझुरी सी उठ जाती जब कोई बात छू जाती।
चलचित्र सा चलने लगता अपने मन के अन्दर।।
मन गहराई में उतरकर 'उपदेश' मदहोश होता।
नशा तब उतरता जब पकड़कर हिलाता अन्दर।।
- उपदेश कुमार शाक्यावार 'उपदेश'
गाजियाबाद

The Flower of Word by Vedvyas Mishra
The novel 'Nevla' (The Mongoose) by Vedvyas Mishra



The Flower of Word by Vedvyas Mishra




