अपने अकेलेपन को,
अपने अकेले जीवन और वास्तविकता के पास छोड़ आइए,
जो साथ है उसका साथ निभाइए।।
वो चुप थी ,
तो मैं रूठ रहा था,
वो रूठीं तो ,
मैं चुभ रहा था।।
प्यार किसी की जिद्द में नहीं,
हर वक्त पे कोई दिल नहीं,
धीरे से खुद को संभालना सीखों,
जीवन तुम्हारे भीतर है, किसी शब्द में नहीं।।
- ललित दाधीच।।