बख्शेंगे नहीं हम
एक बार फिर!!
ज़िन्दगी इतनी सस्ती लगने लगी
जो मज़हब के नाम पर ख़त्म कर दी गई
कोई नया चूड़ा पहने अपने मृतक पति के साथ बैठी है
अभी साथ फेरे लिए,साथ निभाने की कसमें खाए हुए कुछ दिन भी नहीं बीते होंगे
कि मज़हब की दुश्मनी ने जीवन भर के साथ को कुछ पल का कर दिया
यह दर्द सिर्फ़ इकलौता नहीं है
छब्बीस लोग उनके आतंक की बलि चढ़ गए
क्या ख़ता थी इनकी
कि अपने देश में बेखौफ़ घूम रहे थे
नहीं ,ख़ता उनकी है
सबक़ उनको मिलेगा
जो हमारे देश में बेखौफ़ आकर खून की नदियाँ बहा गए
ऐसा सबक़
कि दोबारा हमारे देश की दहलीज़ पार करने का सोचने से ही उनकी रूह काँप उठे !!
वन्दना सूद
सर्वाधिकार अधीन है

The Flower of Word by Vedvyas Mishra
The novel 'Nevla' (The Mongoose) by Vedvyas Mishra



The Flower of Word by Vedvyas Mishra




