हम अपने से बड़ों इज़्ज़त देते और एहतराम करते जिसे हम ने बा किरदार समझा है
न हम खुदा से मांगा है न मांगते हैं और न ही किसी वली अल्लाह से मांगा है
जिसने जन्म दिया है यह काम उसका है मांग कर हम अपनी जुबान क्यूं खाली करें
पेट हमने नहीं बनाया जिसने बनाया वह समझें कैसे भरना है हराम खोरी मिजाज़ नहीं मेरा
हर मांगना फर्ज़ है तो कायनात मेरे कब्जे में हो जाए यह मांगता हूं खुदा से _ वसी
लिखना मेरा मिजाज़ नहीं था गर्दिशों में बचपन से अबतक जीवन देखा यकतरफा
ईमानदारी , इंसाफ़ सच्चाई के साथ ज़िंदगी जीना मेरे पिता जी ने सिखाया था
उम्र मौत के क़रीब आ गई है दिल कलपती है ऐसी जीवन जीने से आत्मा की आवाज़ है
बेइमान, झूठा, मक्कार और भेद भाव रखने वाले के साथ क्या जीना है जीवन
यहां सच्चे लोग देखने को नहीं मिलता भेद भाव का बाज़ार गर्म है इसके सिवा कुछ नहीं
आत्मा की आवाज़ ने कहा लिखकर अपना संदेश जहान वालों को बता दो हो गया लेखक
मेरी नज़रों में कोई लेखक नहीं नक़ल करने वालों का अधिकता है जहान में
जिसने करामाती, इलहामी और कल्पना की आवाज़ लिखी इसका कद्रदान कोई नहीं
आज मांगता हूं खुदा से मेरी मौत आज आजाए मगर ज़मीन के ऊपर नीचे बेइमान भरा है
खुदा सुनता है तो सुन ले ज़मीं के ऊपर मेरी मौत तुझे मंजूर नहीं तो झूठे का विनाश हो जाए ज़मीं पर
कविता कोश, अमर उजाला, यहां सच्चे कवि, लेखक की ज़रूरत नहीं लोगों का यकीं धोका है
हमने लिखी है अभी ये कविता ये नहीं छापेंगे इसका नक़ल किसी के नाम से छप जायेगी
वसी अहमद क़ादरी! वसी अहमद अंसारी
मुफक्कीर मखलूकात! मुफक्किर कायनात
27 मई 2025 _ 9.40 pm

The Flower of Word by Vedvyas Mishra
The novel 'Nevla' (The Mongoose) by Vedvyas Mishra



The Flower of Word by Vedvyas Mishra




